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________________ जैनों का संक्षिप्त इतिहास चौबीस तीर्थंकरों में से भगवान महावीर को ही ऐतिहासिक पुरुष माना जा सकता है। बौद्ध ग्रंथ जो बुद्ध के निर्वाण के तत्काल बाद बने उनके अनुसार महावीर बुद्ध के समकालीन थे तथा उनसे 30 वर्ष पूर्व ही पावापुरी में मोक्ष सिधार गये थे। जैन श्वेताम्बर परम्परा अनुसार ही महावीर के लगभग एक हजार वर्ष बाद 'आगम' संकलित व लिपिबद्ध किये गये तथा जो श्रुति की परम्परा के अनुसार महावीर के समय से चले आ रहे थे, उनके अनुसार वर्द्धमान महावीर का जन्म बी.सी. 585 (ईसा. पूर्व) चैत्र सुद तेरह ज्ञात्र क्षत्रिय कुल में वैशाली कुण्डग्राम, वर्तमान में पटना से 43 किलोमीटर दूर हुआ था। तब मगध पर श्रेणिक और उसके पुत्र कुणिक का राज्य था। बौद्ध-ग्रंथों के अनुसार तब शासक बिम्बसार और उसका पुत्र अजात शत्रु था। वस्तुतः ‘दसा श्रुत स्कंध' (जैन) में पूरा नाम श्रेणिक-बिम्बसार लिखा हुआ है। ___महावीर एवं बुद्ध दोनों अनुयायियों को "जिन" कहते थे। "आचारांग" सूत्र एवं "कल्पसूत्र" में जैनों को निर्गन्ठ कहा गया है। घोर. तप कर निर्ग्रन्थ, राग द्वेष रहित बनने के लिये भी "जिन" कहलाते थे। जैनों के अनुसार उनकी ऐतिहासिकता बौद्धों तक यानी जैनों की महावीर तक सीमित नहीं थी क्योंकि महावीर के माता-पिता भी 23 वे तीर्थंकर पार्श्वनाथ के अनुयायी थे जो महावीर से 250 वर्ष पूर्व थे। जैन दर्शन के पौराणिक मतानुसार विश्व और जैन धर्म दोनों अनादि हैं। समस्त काल चक्र का उत्सर्पिणी एवं अवसर्पिणी दोनों
SR No.002322
Book TitleJaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2013
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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