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अनेकान्त एवं स्याद्वाद/114
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विज्ञान ने भी कुछ पार्टीकल्स (परमाणुओं) के बारे में माना है कि उनका व्यवहार निश्चित नहीं कहा जा सकता। डब्ल्यू हेजन बर्ग का यह कथन है लेकिन कुछ सीमाओं में उनका व्यवहार आंका जा सकता है । उससे पदार्थ जगत में क्रांति आई है जैसे टी.वी., मोबाईल फोन, चिकित्सा जगत में भी ऐसे आविष्कार हुए हैं। ___ नील बोहर के अनुसार कई विरोधी दिखने वाले तत्व एक दूसरे के सहायक होते हैं। जैसे फफूंद से पेन्सिलीन का अविष्कार कर घातक रोगों पर विजय पाई। छोटी चेचक के द्रव्य से वेक्सीन (टीका) प्राप्त कर संसार को चेचक से उबारा इत्यादि, इत्यादि। स्त्री- पुरूष, दिन-रात, श्रम–विश्राम, इत्यादि , विरोधी दिखने वाले एक दूसरे के पूरक हैं। ___ अन्य कई अपेक्षाओं से भी जीव और जगत के सम्बन्ध में अनेकांत एवं स्याद्वाद से सत्य समझा जा सकता है। जैसे द्रव्य क्षेत्र, काल एवं भाव। जीव की सिद्धि में सम्यग् दृष्टि, मिथात्व का हनन, ज्ञान, दर्शनावरणीय कर्मों का क्षय से दर्शन मोहनीय एवं चारित्र मोहनीय कर्म की अल्पता एवं दान लाभ भोगोपभोग वीर्याणि तत्वार्थ सूत्र 2-4 अनुसार आत्मा की उत्क्रांति सुलभ होती है।
इसी तरह पदार्थ जगत में द्रव्य अर्थात् वस्तु के मूल धर्म को प्राप्त करने की अपेक्षा रहती है। यदि वह केवल काया , मनसा , वाचा सुख तक ही सीमित है तो वह भौतिक द्रव्य की चाह करेगा और उसके परिणाम स्वरूप उसे वैसे ही क्षेत्र, समय, काल एवं भाव की ओर अग्रसर होना पड़ेगा। हिंसा के सम्बन्ध में भी अन्य दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है। जैसे डॉक्टर द्वारा अप्रमाद से रोगी की शल्य चिकित्सा , दवाई देना आदि किया जाए , जिससे कि वह स्वस्थ हो सके तो वह हिंसाजन्य न होगा। ___सत्य के अनेक पहलू जो सर्वज्ञ द्वारा जानकर बताए गए हैं उन्हें एक साथ नहीं कहा जा सकता अतः वे क्रमबद्ध ही कहे जा