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विदुषी साध्वीद्वय डॉ. प्रियदर्शना श्री एम. ए., पीएच. डी. एवं डॉ. सुदर्शना श्री एम. ए. पीएच. डी. द्वारा रचित ग्रन्थ 'अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस' (1 से 7 खण्ड) सुभाषित सूक्तियों एवं वैदुष्यपूर्ण हृदयग्राही वाक्यों के रूप में एक पीयूष सागर के समान है
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पं. हीरालाल शास्त्री
एम.ए.
आज के गिरते नैतिक मूल्यों, भौतिकवादी दृष्टिकोण की अशान्ति एवं तनावभरे सांसारिक प्राणी के लिए तो यह एक रसायन है, जिसे पढ़कर आत्मिक शान्ति, दृढ इच्छा-शक्ति एवं नैतिक मूल्यों की चारित्रिक सुरभि अपने जीवन के उपवन में व्यक्ति एवं समष्टि की उदात्त भावनाएँ गहगहायमान हो सकेगी, यह अतिशयोक्ति नहीं, एक वास्तविकता है ।
आपका प्रयास स्वान्तः सुखाय लोकहिताय है । 'सूक्ति-सुधारस' जीवन में संघर्षों के प्रति साहस से अडिग रहने की प्रेरणा देता है ।
महावीर जन्म कल्याणक, गुरुवार दि. 9 अप्रैल, 1998
ज्योतिष- सेवा
राजेन्द्रनगर
जालोर (राज.)
ऐसे सत्साहित्य 'सत्यं शिवं सुन्दरम्' की महक से व्यक्ति को जीवंत बनाकर आध्यात्मिक शिवमार्ग का पथिक बनाते हैं । आपका प्रयास भगीरथ प्रयास है।
भविष्य में शुभ कामनाओं के साथ |
निवृत्तमान संस्कृत व्याख्याता राज. शिक्षा-सेवा
राजस्थान
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 • 34