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सकामक अन्तनिरीक्षण असंयत अज्ञानी, पापी अनासक्ति
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आकृति: मन का दर्पण आत्मा प्रसन्न कैसे? आत्मा एकाकी आलोचना से हल्कापन आराधक नहीं आनुपूर्वी से आलोचना आत्म-चिन्तन आकाङ्क्षा महादुःख आत्मोद्धार हेतु उद्गार आत्मा, ज्ञाता आत्मा स्फटिकवत् आज्ञा रहित मुनि आत्मा शाश्वत आगमविद् आदेश-अनतिक्रमण आसक्ति कर्मास्रव द्वार आत्मा अनिर्वचनीय आत्मा अवाच्य आत्महित चाहक आत्म-नियन्त्रण आत्म-नियन्त्रण दुष्कर आशातना से अमुक्ति आत्मज्ञानी आत्म-विचारणा आस्रव-संवर क्या ?
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अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 . 243