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मन्तव्य
डॉ. अखिलेशकुमार राय
साध्वीद्वय डो. प्रियदर्शनाश्रीजी एवं डॉ. सुदर्शना श्रीजी द्वारा रचित प्रस्तुत पुस्तक का मैंने आद्योपान्त अवलोकन किया है । इनकी रचना 'सूक्ति-सुधारस' (1 से 7 खण्ड) में श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वर जी की अमरकृति 'अभिधान राजेन्द्र कोष' के प्रत्येक भाग को आधार बनाकर कुछ प्रमुख सूक्तियों का सुंदर - सरस व सरल हिन्दी भाषा में अनुवाद प्रस्तुत किया गया है। साध्वीद्वय का यह संकल्प है कि 'अभिधान राजेन्द्र कोष' में उपलब्ध लगभग २७०० सूक्तियों का सात खण्डों में संचयन कर सर्वसाधारण के लिये सुलभ कराया जाय । इसप्रकार का अनूठा संकल्प अपने आपमें अद्वितीय कहा जा सकता है । मेरा विश्वास है कि ऐसी सूक्ति सम्पन्न रचनाओं से पाठकगण के चरित्र निर्माण की दिशा निर्धारित होगी ।
दिनांक 9 अप्रैल, 1998
चैत्र शुक्ला त्रयोदशी 1/1 प्रोफेसर कालोनी, महाराजा कॉलेज,
छतरपुर (म. प्र. )
अब सुहृद्जनों का यह पुनीत कर्तव्य है कि वे इसे अधिक से अधिक लोगों के पठनार्थ सुलभ करायें । मैं इस महत्त्वपूर्ण रचना के लिये साध्वीद्वय की सराहना करता हूँ; इन्हें साधुवाद देता हूँ और यह शुभकामना प्रकट करता हूँ कि ये इसप्रकार की और भी अनेक रचनायें समाज को उपलब्ध करायें ।
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अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 35