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मुक्ति का अश
अभिधान राजेन्द्रकोष भाग पष्ठ
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114. खग्गि विसाणव्वं एगजाते ।
खं 417. खंती य मद्दऽज्जव, विमुत्तया ।
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215. गज्जित्ता णाममेगे णो वासित्ता । 77. गन्धाणुरत्तस्स नरस्स एवं ।
गि 142. गिद्धनरा कामेसु मुच्छिया । 405. गिरं च दुटुं परिवज्जए सया । 428. गिहि जोगं परिवज्जए जे ।
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281. गुतिदिए गुत्त बम्भयारी ।
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75. घाणस्स गंधं गहणं वयंति ।।
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60. चक्खुस्स रुवं गहणं वयंति । 202. चत्तारि पुरिस जाता पन्नत्ता । 203. चत्तारि पुरिस जाता पणता । 204. चत्तारि सुता पन्नता । 205. चत्तारि फला-पणता । 206. चत्तारि पुरिस जाता-पन्नता । 207. चत्तारि पुफ्फा -पन्नत्ता । 208. चत्तारि पुरिस जाया-पन्नता । 210. चत्तारि पुरिस जाया-पन्नता । 214. चत्तारि पुरिस जाता-पन्नत्ता । 342. चउव्विहा बुद्धी पन्नत्ता, तं जहा । 424. चत्तारि वमे सया कसाए ।
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अभिधान राजेन्द्र कोप में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 . 185
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