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- धर्मरत्नप्रकरणसटीक 1 अधि. 12 गुण . अवगुणी व्यक्ति गुणवानों को नहीं जान सकता। (अवगुणी गुणवानों को नहीं परख सकता ।) गुणवान् गुणीजनों के प्रति आदर रखने के बजाय उल्टा उनके प्रति मत्सर-ईर्ष्या रखते हैं । वस्तुत: सरलमना-सच्चे गुणवान
और गुणानुरागी मिलना बड़ा दुर्लभ है। 202. पुरुष-प्रकार
चत्तारि पुरिस जाता-पन्नत्ता । तं जहा आवात भद्दतेणामेगे णो संवास भद्दते, संवास भद्दते णामेगे णो आवात भद्दणए, एगे आवात भद्दते वि संवास भद्दते वि, एगे णो आवात भद्दते नो संवास भद्दए ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1018]
- स्थानांग 440256 चार तरह के पुरुष होते हैं -
कुछ व्यक्तियों की मुलाकात अच्छी होती है, किन्तु सहवास अच्छा नहीं होता।
कुछ का सहवास अच्छा रहता है, मुलाकात नहीं । कुछ एक की मुलाकात भी अच्छी होती है और सहवास भी।
कुछ एक का न सहवास ही अच्छा होता है और न मुलाकात ही। 203. दोष-विकल्प
चत्तारि पुरिस जाता-पणत्ता । तं जहाअप्पणो मेगे वज्जं पासति, णो परस्स, परस्स, णामेगे वज्जं पासति, णो अप्पणो, एगे अप्पणो वज्जं पासइ परस्स वि, एगे णो अप्पणो वज्जं पासइ णो परस्स ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 1018] - स्थानांग 440256
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 109