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सात नद
45
49
57
373
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60
192
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जि
जी
सात शावक
जागरुकता
जागते रहो !
जिन-1 -प्रवचन
जिनाज्ञानुसार धर्माचरण जिनवचन से सर्वार्थ सिद्धि
जीवाजीवज्ञ, संयमज्ञ
जीव अनास्रव
जीवन बाधाओं से परिपूर्ण
जीव प्रमादी
जीओ और जीने दो
जीव- अनाशातना
जैनदर्शन में समग्र दर्शन जैनदर्शन में नय
जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि
तप से तापस
तप, धनुषबाण
तत्त्वद्रष्टा सदा सजग
तप - परिभाषा
तप ही ज्ञान
तप कैसा हो ?
तप वही !
तप से निर्ज
तपरत मुनि
तपश्चरण
तप-प्रयोजन
तपः शूर
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4 204