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398 ममता मुक्त
णच्चा धम्मं अणुत्तरं, कय किरिए ण यावि मामए । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग + पृ. 2706]
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सूत्रकृताग - 12/28
उत्तम धर्म को समझकर क्रिया करते हुए व्यक्ति को ममत्त्वभाव
नहीं रखना चाहिए |
399. दुर्लभ अवसर
आयहियं खु दुहेण लब्भई ।
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आत्म- हित का अवसर कठिनाई से मिलता है ।
400. क्रोधमान - त्याग
कोहं माणं न पत्थए ।
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 2707] सूत्रकृतांग 12/2/30
क्रोध - मान की इच्छा मत करो ।
401. संसार पार कौन ?
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 2707 ] सूत्रकृतांग 1/11/35
गुरुणो छंदाणुवत्तगा, विरयातिन्नमहोधमाहिय ।
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 2707] सूत्रकृतांग - 12/2/32
यह संसार महान् प्रवाह रूप समुद्र है और इसे गुर्वाज्ञानुसार चलनेवाले
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और पापों से दूर रहनेवालों ने ही पार किया है ।
402. कषाय-त्याग
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छण्णं य पसंसणो करे, न य उक्कासपगास माहणे ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 2707] सूत्रकृतांग - 122/29
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4157