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सुकृत सहयोगिनी
श्रुतज्ञानानुरागिणी श्राविकारत्न, भीनमाल, [राज.]
भारतीय संस्कृति में नारी की गरिमा के लिए मनुस्मृति का यह कथन अक्षरशः सत्य है -
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते
रमन्ते तत्र देवताः। यथार्थ में श्री राजेन्द्र जैन महिला मंडल भीनमाल की श्रुतज्ञान के प्रति रूचि अनुमोदनीय है, उसी का दिव्यफल है इस पुस्तक का प्रकाशन ।
इस सुकृत में सहयोग देकर महिला मंडल ने नारी महिमा को अक्षुण्ण रखा है।
वे "अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति सुधारस" (तृतीय खंड) का प्रकाशन करवा रही हैं। उनकी विद्यानुरागिता की हम भूरिभूरि प्रशंसा करती हैं। भीनमाल निवासिनी इन सुश्राविकाओं को प्रस्तुत पुस्तक-मुद्रण में अनुपम सहयोग के लिए प. पूज्या वयोवृद्धा सरलस्वभाविनी वात्सल्यमयी साध्वीरत्ना श्री महाप्रभाश्रीजी म. सा. (पू. दादीजी म.सा.) आशीष देती हैं तथा साथ ही हम भी इन्हें धन्यवाद देती हुई यह मंगलकामना करती हैं कि इनके अन्तःकरण में यथावत् ज्ञानानुराग, विद्याप्रेम और श्रुतज्ञान के प्रति आतंरिक लगाव-रूचि व अनुराग दिन दुगुना रात चौगुना वृद्धिगत होता रहें । यही अभ्यर्थना ।
- डॉ. प्रियदर्शनाश्री - डॉ. सुदर्शनाश्री
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-3 • 18