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तप-संयम रूप आचार का मूल आधार आत्मा में श्रद्धा ही है। (जीवात्मा का मूलाधार आचार ही है।) 286. भयंकर वृद्धावस्था पंथसमा नत्थि जरा।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 1359]
- सुभाषित सूक्त संग्रह 37/A पंथ के समान कोई वृद्धावस्था नहीं है। 287. पराजय दारिद्द समो पराभवो (परिभवो) नत्थि ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 1359]
- सुभाषित सूक्त संग्रह 37/4 दरिद्रता से बढ़कर कोई पराजय नहीं है । 288. मृत्यु-भय मरण समं नत्थि दुःखं (भयं)।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 1359]
- सुभाषित सूक्त संग्रह 3714 मृत्यु से बढ़कर कोई भय नहीं है। 289. क्षुधा - वेदना खुहा (छुआ) समा वेयणा नत्थि ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 3 पृ. 1359]
- सुभाषित सूक्त संग्रह 374 भूख से बढ़कर कोई वेदना नहीं है।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-3 . 126