________________
सुकृत सहयोगी
7
सुकृत सहयोगी
श्रेष्ठिवर्य
श्रीमान् खूबचंदभाई त्रिभोवनदास वोरा संसार में ऐसे अनेक पुण्यशाली
मनुष्य होते हैं जो मौन और गुप्त भाव से सेवा करने में प्रसन्न होते हैं ।
चित्त की प्रसन्नता जीवन की सर्वोत्तम औषधि है । यह संजीवनी है । ऐसे भाग्यशाली उदारमना सदा गुप्त रीति से साधु-सन्तों की सेवा में संलीन रहते हैं - श्रीमान् खूबचन्दभाई वोरा थराद (उ.गु.) निवासी ।
इन्होंने अध्ययनकाल से लेकर अद्यावधि हमारी वैयावच्च की है और वह भी अत्यन्त गुप्तभाव से । वास्तव में इन्होंने 'गुप्तदानं महापुण्यम्' की उक्ति को अपने जीवन में चरितार्थ किया है ।
वे 'अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस' (प्रथम खण्ड) का प्रकाशन भी करवा रहे हैं ।
उनके विद्यानुराग तथा साधु-सेवादि की हम सराहना करती हैं और प.पूज्या वयोवृद्धा साध्वीरत्ना श्री महाप्रभाश्रीजी म. सा. उन्हें आशीष देती हैं। वे भविष्य में भी ऐसे सुकृत में सदा सहयोगी बनेंगे, ऐसी हमें आशा
T
डो. प्रियदर्शनाश्री - डो. सुदर्शनाश्री
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/18