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क्रमाङ्क सूक्ति नम्बर सूक्ति शीर्षक
आर्जव-अंकुर आहार क्यों ? आत्मा ही सब कुछ
आत्महन्ता 113
आत्मवत्-स्वरूप 114
आत्म-स्वरूप 152
आचार्य-शुश्रूषा 157
आत्मगुप्त-साधक 161
आचरण-तत्परता
आराधक-विराधक 169
इह-परत्र नाश 137
ईख का फूल
उत्तम-तप 248
उपशम
एकरूपता 183
एकल अशोभनीय 163
कर्मबन्ध-अनुच्छेद 64
कर्ता-भोक्ता-आत्मा
कर्म-विपाक 85
कल्याण-कामना 138
कलह-हानि 139
कषायी-असंयमी 142
कषाय, चारित्र-हानि 165
कर्मः दग्धबीज
कायर-जन 88 . 168
काम-भोग अतृप्ति 170
कैसा सत्य ? 90 215
कौन-शरण्य ? 91 48
कञ्चन माटी जाने 92 143
किञ्चित् कषाय से चारित्र-हनन किञ्चित् श्रेयस्कर !
क्रिया-बन्ध अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-1/147
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