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________________ १३३ विसमावत्थ पडिउ मणु डोल्लइ एकइ कज्जारंभि ण चल्लइ” ॥ घत्ता ॥ मंतिहि सहु राणउ मणि विद्दाणउ अवरुप्परु जामहि लवइ 1 ता पत्ति परिहिउ सच्चाहिहिउ सो जक्खाहिउ तहि चवइ ॥११॥ ॥दोहऊ ॥ " पोयणपुरणयराहिवइ णंदणु कमलइ जाउ वयरसीहणामहि मुणहि एहु म करहि विसाउ ॥छ । जह वणि छंडिउ णिरु भेरुंडें अवरें छंडावियउ पयंडें कूवि पडतउ पहिएं रक्खिउ जह सत्थेसहो आविवि दक्खिउ 5जह तेण वि णियमंदिरि पोसिउ विणयंधरु णामेण पघोसिउ” इय पयडेवि जक्खु अइंसणु तक्खणि एअउ विहियपसंसणु तहो वयणे णिउ हरिसियगत्तउ पभणइ मंतिहि पुरउ पवित्तउ " भाइणेउ इहु कमलाणंदणु वणि छंडिउ अम्हहि णिसुवउ पुणु विणयंधरु देवेणाइहउ एवहि महु मणसंसउ णहउ" 1०ता भाणुमइ कण्ण परिणाविय तेण महुच्छउ णयरि कराविय . अद्वरज्जु देविण सइ भूसिउ पयडवंसु सो जणहि णमंसिउ चिरसरूउ जाणिवि सामरिसउ विणयंधरु बहुसेण्णे सरिसर एक्कहि etc. - नदी एकत्र व्याघ्र एकत्र; C गुरुदोत्तडि - गुरुवरनदी. 14. पत्ति - विमाने; सच्चाहिट्रिट - सत्येनाभिस्थितः. XII. 4. सत्थेसहो - धनिकस्य. 6. विहियपसंसणु - कृतप्रशंसा. 7. पुरउ - अग्रे. 9. देवेणाइट्टउ - यक्षेण कथितः. 12. सामरिसउ - पिता उपरि सकषायः जातः. एकहिं, C. एकहि. 12. B. एकहें; C. एकहिं. 13. B. सहुं राणउं; विद्दाणउं; जामहिं. 14. BC. तहिं. [Kadavaka 12.] I. A. णंदण; B. णंदणु कमलई; C. ॥ दोहा । पुरुणयराहिवहो; कमलएं. 2. A. वयरसीणामहु; B. मुणहिं; C. णामहुँ मुणिहिं; करहिं. 3. A. जहि for जह; मेरंडें; B. णिउ भेरुंडें. 4. A. पहिए; B. सत्थेसहु; C. सत्थेसहोवेवि. 6. B. तक्खणे हवउ; C. हूवउ विहियपदसणु. 7. A. पभणहो; C. गत्तउ पभणइं मंतिहिं. 8. A. भायणेउ; B. अम्हहिं; 9. B. एवहिं. I0. A. भाणुवइ; B. भाणुमइ; परिणाविउ, महोच्छउ कराविउ; C. भाणुमइ; महुच्छव. II. B. अद्धरज्जु; सई; जणहिं; C. अद्धरज्जु. 12. A. 'सेणे; B. जाणेवि; वहुसेण्णे; C. सेणे.
SR No.002315
Book TitleChakkammuvaeso
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Modi
PublisherOriental Institute
Publication Year1972
Total Pages448
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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