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________________ ५९ समाणी अट्ठट्ठमियं भिक्खुपडिमं उवसपज्जित्ताणं विहरेतर । अहासु देवाणुप्पिया ! मा पबिंधं करेह । " तए णं सा सुकण्हा अज्जा अज्जचंदणाए अब्भगुणाया समाणी अट्ठट्ठमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जि - ताणं विहरs | 5 पढमे अट्ठए एक्केक्कं भोयणस्स दत्ति पडिगाहेइ एक्क्कं पाणयस्स । [ जाव] अट्टमे अट्ठए अट्ठट्ठ भोयणस्स पंडिंगाहें अट्ठ पाणयस्स । एवं खलु एयं अट्ठट्ठमियं भिक्खुपडिमं चउसट्ठीए रातिदिएहि दोहि य अट्ठासीग हिं भिक्खा एहिं | 10 अहासुत्ता [जाव] नवनवमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जि - ताणं विहरs | पढमे नवए एक्केक्कं भौयणस्स दत्ति पडिगाहेइ एक्केकं पाणयस्स [जाव] नवमे नवए नव दत्तीओ भोयणस्स नव पाणयस्स । एवं खलु नवनवमियं भिक्खुपडिमं एकासीह राइदिएहिं चउहिं पंचोत्तरेहिं भिक्खासएहिं । अहासुत्ता [ जाव ] दसदसमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ | 15 पढमे दस एक्केक्कं भोयणस्स दत्ति पडि- 20 गाइ एक्केक्कं पाणयस्स । [ जाव] दसमे दस दस दस दत्तीओ भोयणस्स पंडिंगाहेइ दस दस पाणयस्स । एवं खलु एयं दसदसमियं भिक्खुपडिमं एक्केणं राइदिसणं अद्धछट्ठेहिं भिक्खासएहिं । अहासुत्तं [ जाव] आराहेइ । आराहित्ता बहूहिं चउत्थ [ जाव] मासद्ध - 25 मासविविहतवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणी विहरइ ।
SR No.002312
Book TitleAntagadadasao and Anuttarovavaidasao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Modi
PublisherGurjar Granth Ratna Karyalay
Publication Year1932
Total Pages352
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_antkrutdasha, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size14 MB
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