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________________ ૬૪ तीर्थरक्षक सेठ शान्तीदास उचित संस्कार व जीवनोपयोगी गुणों का विकास किया था । वे अपने पुत्रों की योग्यता ठीक से जानती थी इसलिए कस्तूरभाई को कालेज छुड़वाकर अपने उद्योग में लगाया और सेठ लालभाई की परिवार को पहुंची क्षतिपूर्ति करने के काम में लगाया । उस समय सेठ लालभाई का कार्य और कीर्ति वे कैसे सम्भाल पावेंगे ऐसा स्वयं कस्तूरभाई सेठ को ही लगता था पर मोहिनाबा की परीक्षा ठीक थी । कस्तूरभाई ने सच्चे सपूत की तरह बाप से बेटा सवाया बनकर जो काम किया वह जैन समाज के लिए तो गौरवपूर्ण है ही, राष्ट्र निर्माता के रूप में जो कपड़ा उद्योग और तत्सम्बन्धी उद्योगों में प्रगति की वह परिवार और समाज की कीर्ति को बढ़ाने वाली है ।
SR No.002308
Book TitleTirthrakshak Sheth Shantidas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRishabhdas Ranka
PublisherRanka Charitable Trust
Publication Year1978
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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