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________________ तिण्हा थावर दंसण तृषा स्थावर दर्शन दव्व दिट्टि दिणयर दुक्ख दुगंछा दुच्चरित्त दूसण " घृणा बुरा आचरण आकारान्त स्त्री. 180 अकारान्त पु. 126 अकारान्त पु., नपुं. 100,102,160,162, 163,164,165,171 अकारान्त पु., नपुं. 121,145, 162,163, 167, 168 इकारान्त स्त्री. 161, 168 अकारान्त पु. 160 अकारान्त पु., नपुं. 179 आकारान्त स्त्री. 132 अकारान्त नपुं. 103 अकारान्त नपुं. 166, 169 अकारान्त पु., नपुं. 77 अकारान्त पु. 80, 128 93, 187 अकारान्त पु., नपुं. 89, 151, 181 133 अकारान्त नपुं. 123 इकारान्त पु. 184 अकारान्त पु. 184 अकारान्त नपुं. 95, 100, 105, देव दोस धम्म धर्मध्यान धम्मझाण धर्मध्यान धम्मत्थि धर्मास्तिकाय धम्मत्थिकाय धर्मास्तिकाय पच्चक्खाण प्रत्याख्यान 106, 153 107, 145, 168 पज्जअ/पज्जय पर्याय पज्जाअ पर्याय अकारान्त पु. अकारान्त पु. 77 (152) नियमसार (खण्ड-2)
SR No.002305
Book TitleNiyamsara Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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