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________________ चारित चिंता चित्त चेयण च्छेद छुहा जणण जप्प जरा ཤྲཱ ཡྻཱ ཝཱ जाइ जिणंद जिणवर जिणवरिंद जीव जीवठाण जुत्ति आचरण चारित्र चिंतन चिंता बुद्धि मन चेतन छेदन करना क्षुधा जन्म वचन-व्यापार जल्प (कथन) जरा जन्म जिनेन्द्रदेव जिन जिनदेव जिनेन्द्रदेव अरहंत जीव आत्मा जीवस्थान युक्ति नियमसार (खण्ड-2) अकारान्त नपुं. आकारान्त स्त्री. अकारान्त नपुं. अकारान्त पु. अकारान्त पु. आकारान्त स्त्री. अकारान्त नपुं. अकारान्त पु. आकारान्त स्त्री. इकारान्त स्त्री. अकारान्त पु. C अकारान्त पु. अकारान्त पु. अकारान्त पु. अकारान्त पु., नपुं. 82 152 114 181 116 145 167 110 180 179 95 150 177 177 134, 155, 187 86, 186 109 89 140 90, 101, 136, 147, 173, 174, 184 106, 119, 170 अकारान्त पु., नपुं. 78 इकारान्त स्त्री. 142 (149)
SR No.002305
Book TitleNiyamsara Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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