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• ()- इस प्रकार के कोष्ठक में मूल शब्द रखा गया है ।
•[()+()+()..... ] इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर + चिह्न शब्दों में संधि का द्योतक है। यहाँ अन्दर के कोष्ठकों में गाथा के शब्द ही रख दिये गये हैं । ·[()-()-()..... ] इस प्रकार के कोष्ठक के अन्दर चिह्न समास का
द्योतक है।
•{[ ()+()+().....]वि} जहाँ समस्त पद विशेषण का कार्य करता है वहाँ इस प्रकार के कोष्ठक का प्रयोग किया गया है।
• जहाँ कोष्ठक के बाहर केवल संख्या (जैसे 1 / 1, 2 / 1 आदि) ही लिखी है वहाँ उस कोष्ठक के अन्दर का शब्द 'संज्ञा' है ।
· जहाँ कर्मवाच्य, कृदन्त आदि प्राकृत के नियमानुसार नहीं बने हैं वहाँ कोष्ठक के बाहर 'अनि' भी लिखा गया है ।
क्रिया-रूप निम्नप्रकार लिखा गया है
1/1 अक या सक
1/2 अक या सक
2/1 अक या सक
2/2 अक या सक
3/1 अक या सक
3/2 अक या सक
( 8 )
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उत्तम पुरुष / एकवचन
उत्तम पुरुष / बहुवचन
मध्यम पुरुष / एकवचन
मध्यम पुरुष / बहुवचन
अन्य पुरुष / एकवचन
अन्य पुरुष / बहुवचन
नियमसार (खण्ड-1)