SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 47. राया हु णिग्गदो ि य राया हु णिग्गदो ति य एसो बलसमुदयस्स आदेसो । ववहारेण दु उच्चदि तत्थेक्को णिग्गदो राया ॥ एसो बलसमुदयस्स आदेसो ववहारेण दु उच्चदि तत्थेक्को णिग्गदो राया (राय) 1 / 1 अव्यय [(णिग्गदो ) + (इति)] णिग्गदो ( णिग्गद) भूकृ 1 / 1 अनि इति (अ) = अव्यय ( एत) 1 / 1 सवि [(बल) - ( समुदय) 4 / 1 ] (आदेस) 1/1 (ववहार) 3 / 1 अव्यय (उच्चदि) व कर्म 3 / 1 अनि [(तत्थ) + (एक्को)] तत्थ (अ) = वहाँ एक्को (एक्क) 1 / 1 वि (णिग्गद) भूकृ 1/1 अनि (राय) 1 / 1 राजा ही निकला शब्दस्वरूपद्योतक पादपूरक यह सेना के समूह लिए कहना व्यवहार से कि कहा जाता है के वहाँ एक निकला हुआ राजा अन्वय- बलसमुदयस्स एसो आदेसो दु राया णिग्गदो त्ति य ववहारेण उच्चदि तत्थ णिग्गदो राया एक्को हु । अर्थ- (बाहर निकले हुए) सेना के समूह के लिए यह कहना कि राजा (बाहर) निकला है - व्यवहार ( बाह्यदृष्टि) से कहा जाता है, (किन्तु) वहाँ (तो) (वास्तव में) निकला हुआ राजा एक ही (होता है)। नोट: संपादक द्वारा अनूदित (58) समयसार (खण्ड-1 )
SR No.002302
Book TitleSamaysara Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy