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________________ 44. एदे सव्वे भावा पोग्गलदव्वपरिणामणिप्पण्णा। केवलिजिणेहिं भणिया कह ते जीवो त्ति वुच्चंति॥ सभी (एद) 1/2 सवि सव्वे (सव्व) 1/2 सवि भावा (भाव) 1/2 भाव पोग्गलदव्वपरिणाम- [(पोग्गल)-(दव्व)- पुद्गलद्रव्य के णिप्पण्णा (परिणाम)-(णिप्पण्ण) परिणमन से उत्पन्न भूकृ 1/2 अनि] केवलिजिणेहिं (केवलिजिण) 3/2 अरहंत द्वारा भणिया (भण) भूकृ 1/2 कहे गए अव्यय (त) 1/2 सवि जीवो त्ति [(जीवो) (इति)] जीवो (जीव) 1/1 जीव इति (अ) = इस प्रकार इस प्रकार वुच्चंति (वुच्चंति) व कर्म 3/2 अनि कहे जाते हैं में कह 10 . अन्वय-केवलिजिणेहिं एदे सव्वे भावा पोग्गलदव्वपरिणामणिप्पण्णा भणिया ते जीवो त्ति कह वुच्चंति। अर्थ- (जब) अरहंत द्वारा (पूर्व कथित) ये सभी (रागादि) भाव (कर्म)-पुद्गलद्रव्य के परिणमन से उत्पन्न कहे गए (हैं) (तो) वे (सभी भाव) जीव (हैं) इस प्रकार कैसे कहे जाते हैं/कहे जा सकते हैं? समयसार (खण्ड-1) (55)
SR No.002302
Book TitleSamaysara Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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