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42. जीवो कम्मं उहयं दोण्णि वि खलु केइ जीवमिच्छंति । अवरे संजोगेण दु कम्माणं जीवमिच्छंति ॥
जीवो
कम्मं
उहयं
दोणव
खलु
केइ
जीवमिच्छंति
अवरे
संजोगेण
दु
कम्मा
जीवमिच्छंति
(जीव) 1 / 1
(कम्म) 1 / 1
(उहय) 1 / 1 सवि
(alfa) 2/2 fa
अव्यय
जीव
कर्म
समयसार (खण्ड
1)
दोनों को
ही
Fic T
कई
अव्यय
[(जीवं) + (इच्छंति)]
जीवं (जीव ) 2 / 1
जीव
इच्छंति (इच्छ) व 3/2 सक स्वीकार करते हैं
(अवर) 1/2 वि
(संजोग ) 3/1
अव्यय
(कम्म) 6/2
[(जीवं) + (इच्छंति)]
जीव को
जीवं (जीव ) 2 / 1 इच्छंति (इच्छ) व 3/2 सक स्वीकार करते हैं
अन्य
संयोग से
ही
कर्मों के
अन्वय- जीवो कम्मं उहयं दोण्णि वि खलु केइ जीवमिच्छंति अवरे कम्माणं संजोगेण द जीवमिच्छति ।
अर्थ- जीव और कर्म दो (हैं) (उन मिले हुए) दोनों को कई (अज्ञानी) 'जीव' स्वीकार करते हैं। अन्य (अज्ञानी) जीव को कर्मों के संयोग से ही (उत्पन्न)
स्वीकार करते हैं।
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