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38. अहमेक्को खलु सुद्धो दंसणणाणमइओ सदारूवी।
ण वि अस्थि मज्झ किंचि वि अण्णं परमाणुमेत्तं पि॥
अहमेक्को
खलु
सुद्धो
दसणणाणमइओ सदारूवी
[(अहं)+ (एक्को )] अहं (अम्ह) 1/1 स एक्को (एक्क) 1/1 वि अनुपम अव्यय
निश्चय ही. (सुद्ध) 1/1 वि [(दसण)-(णाणमइअ)1/1वि] दर्शन-ज्ञानमय [(सदा)+(अरूवी)] सदा (अ) =
सदा अरूवी (अरूवि) 1/1 वि अरूपी
नहीं अव्यय
इसलिए अव्यय (अम्ह) 6/1 स अव्यय
कुछ
अव्यय
अस्थि मज्झ
मेरी
किंचि
अव्यय
अण्णं परमाणुमेत्तं
(अण्ण) 1/1 सवि [(परमाणु)-(मेत्त) 1/1] अव्यय
दूसरी परमाणु-मात्र
अन्वय- अहमेक्को खलु सुद्धो दंसणणाणमइओ सदारूवी वि अस्थि किंचि वि अण्णं परमाणुमेत्तं पि मज्झ ण।
अर्थ- मैं निश्चय ही शुद्ध (हूँ), (इसलिए) अनुपम (हूँ), दर्शन-ज्ञानमय (हूँ), सदा अरूपी (अमूर्तिक/अतीन्द्रिय) (हूँ), इसलिए कुछ भी दूसरी (वस्तु) परमाणु-मात्र भी मेरी नहीं (है)। (48)
समयसार (खण्ड-1)