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________________ 20. अहमेद महं अहमेदस्स म्हि अत्थि एदं अण्ण जं परदव्वं अहमेदं एदमहं अहमेदस्स म्हि अत्थि मम एदं । अण्णं जं परदव्वं सच्चित्ताचित्तमिस्सं वा ।। वा [(अहं)+(एदं)] अहं (अम्ह) 1/1 स एदं (एद) 1/1 सवि [(एदं)+(अहं)] एदं (एद) 1/1 सवि अहं (अम्ह) 1/1 स [(अहं) + (एदस्स)] अहं (अम्ह) 1/1 स एदस्स (एद) 6 / 1 सवि (अस) व 1/1 अक (अस) व 3 / 1 अक ( अम्ह) 6 / 1 स (द) 1/1 सव ( अण्ण) 1 / 1 वि (ज) 1 / 1 सवि [(पर) वि- (दव्व) 1 / 1 ] सच्चित्ताचित्तमिस्सं [ ( सच्चित्त) + (अचित्तमिस्सं)] मैं यह यह मैं मैं इसका मेरा यह अन्य जो पर द्रव्य [(सच्चित्त) वि- (अचित्त) वि - चेतन, अचेतन, ( मिस्स ) 1 / 1 वि] मिश्र अव्यय और अन्वय- जं अण्णं सच्चित्ताचित्तमिस्सं वा परदव्वं अहमेदं एदमहं अहमेदस्स म्हि एदं मम अत्थि । अर्थ - जो (स्वयं से ) अन्य (कोई ) चेतन ( कुटुम्बी जन), अचेतन (धन-धान्यादि) और मिश्र (संबंधित ग्राम, नगर आदि) पर द्रव्य ( है ), ( उसके विषय में यदि कोई व्यक्ति सोचे कि ) ( तादात्मयरूप से) मैं यह (पर द्रव्य) (हूँ) (या) यह (पर द्रव्य) मैं (हूँ) मैं इसका हूँ (या) यह मेरा है.. (30) समयसार (खण्ड-1)
SR No.002302
Book TitleSamaysara Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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