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इस तरह संज्ञा शब्दों को वाक्य में प्रयुक्त करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रत्यय लगाकर संप्रेषण का कार्य किया जाता है।
अब हमें देखना यह है कि उपर्युक्त वाक्यों में संज्ञा शब्द का क्रिया से क्या संबंध है? और उस संबंध को व्याकरण में क्या कहा गया है? 1, 2. प्रणाम क्रिया को करने वाला 'छात्र' है और 'गुरु' क्रिया का कर्म है।
अतः इसको क्रमशः कर्ता कारक और कर्म कारक कहा गया है। 3. 'धोना' क्रिया का सम्पादन पानी से होता है।
अतः इसे करण कारक कहा गया है। 4. 'जीना' क्रिया का सम्पादन 'सुख के लिए' है।
अतः इसे सम्प्रदान कारक कहा गया है। 5. गिरना' क्रिया पेड़ से हुई है।
अतः 'गिरना' क्रिया का होना पेड़ से है। अतः इसे अपादान कारक कहा गया है। इस वाक्य में 'राज्य' का संबंध क्रिया से नहीं है।
अतः इसको कारक नहीं कहा गया है किन्तु यह विभक्ति राज्य का संबंध शासन से बताती है। 7. इस वाक्य में 'गरजने' की क्रिया आकाश में हुई है।
अतः इसको अधिकरण कारक कहा गया है। 8. 'हे बालक' इसका पढ़ना' क्रिया से कोई संबंध नहीं है।
- अतः इसको (संबोधन को) कारक नहीं माना गया है।
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ॐ
अपभ्रंश व्याकरण : सन्धि-समास-कारक (29)
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