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(iv) पइदिण = दिण दिण त्ति (प्रतिदिन) (v) पइघर = घरे घरे त्ति (प्रतिघर) (vi) जहासत्ति = सत्ति अणइक्कमिउ (शक्ति की अवहेलना न करके)
- (शक्ति के अनुसार) (vii) जहाविहि = विहि अणइक्कमिवि (विधि की अवहेलना न करके) ____ = (विधि के अनुसार) (viii) जहारिह = जुग्गय अणइक्कमवि (योग्यता की अवहेलना न करके)
= (योग्यता के अनुसार)
समास में अधिकतर प्रथम शब्द का अंतिम स्वर ह्रस्व हो तो दीर्घ हो जाता है और दीर्घ हो तो ह्रस्व हो जाता है। इसका कोई निश्चित नियम नहीं है। ह्रस्व स्वर का दीर्घ : - अन्त + वेई = अन्तावेई (गंगा-यमुना के बीच का भूभाग) अथवा अन्तवेई सत्त + वीस = सत्तावीस (सत्ताईस) अथवा सत्तवीसा पइ + हर = पईहर (पति का घर) अथवा पइहर वेणु + वण = वेणूवण (बाँस का जंगल) अथवा वेणुवण दीर्घ स्वर का ह्रस्व : जउणा + यड = जउणयड (यमुनातट) अथवा जउणायड नई + सोत्त = नइसोत्त (नदी का स्रोत) अथवा नईसोत्त बहू + मुह = बहुमुह (वधू का मुख) अथवा बहूमुह
अपभ्रंश व्याकरण : सन्धि-समास-कारक (19)
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