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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
की अस्वस्थता बढ़ती जारही थी किन्तु मन से वे स्वस्थ शांत और प्रसन्न थे । श्री नंदनसूरि ने जब कहा कि परसो दिवाली है और फिर नव वर्ष जब आपकी वर्षगांठ आती है । तब महाराजश्री ने कहा 'मुझे अब कहां दिवाली देखनी है ?' उनका अंतिमकाल जैसे आ पहुंचा हो इस तरह महाराजश्री ने श्री नंदनसूरि को प्रतिष्ठा के संदर्भ में तथा अन्य कुछ कार्यों के बारे में सूचना दी ।
महाराजश्री का ज्वर उतरता न था उनका हृदय कमजोर होता जा रहा था । इसके लिए डॉकटरों ने इन्जेक्शन देनेकी बातकी । किन्तु महाराजश्री ने इंजेक्शन लेने से स्पष्ट इन्कार कर दिया । जिन्दगी में उन्होंने कभी इन्जेक्शन नहीं लिया था । महाराजश्री की बात डॉकटर ने स्वीकार करली अतः महाराजश्री ने नंदनसूरि से कहा 'डॉक्टर कितने भले है कि मेरी इच्छा के विरुद्ध कुछ भी करने का आग्रह नही रखते ।'
दिवाली का दिन आया । महाराजश्री ने अपने शिष्यों से कह दिया कि इस दिन वे पानी के अतिरिक्त अन्य कुछ भी प्रयोग नहीं करना चाहते हैं । महाराजश्री की हालत गंभीर होती जा रही है यह समाचार सुनकर उनके दर्शन के लिए नगर के जैन-जैनेतर लोग उमड़ने लगे । डॉ. भी आ पहुंचे । हृदय की बीमारी के कारण इंजेक्शन देने की आवश्यकता डॉ. को लगी । किन्तु नंदनसूरिजी ने महाराजश्री की भावना डॉकटरों को बता दी और इंजेक्शन न देना ऐसा निर्णय लिया शामका प्रतिक्रमण श्री नंदनसूरि तथा श्री धुरंधर