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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
हिमचंदभाई ने देह त्याग दिया । बोटाद पहुंचने का उन्होंने योग्य समय पर शीध्र निर्णय लिया इसका महाराजश्रीको संतोष हुआ । कदम्बगिरि का प्रतिष्ठा महोत्सव :
वि.सं. १८८९ में महाराजश्री कदम्बगिरि पधारे । यहाँ तैयार हुए नूतन जिनालय में अंजनशलाका और प्रतिष्ठा महोत्सव था । भावनगर राज्य की ओर से तंबु, पानी, इत्यादि की व्यवस्था करदी गई थी । उसके लिए भावनगर के सर प्रभाशंकर पटणी ने स्वयं देखभाल की थी । कार्यक्रम के अगले दिन शाम के समय भयंकर आंधी आई। किन्तु मंडप को कोई नुकशान नहीं हुआ । क्योकिं सावधानी के कदम उठाए गए थे । एक हजार के करीब प्रतिमाजी अंजनशलाका के लिए आई थी । हजारों लोग इस मंगल उत्सव में हिस्सा लेने के लिए आ पहुंचे थे । यह प्रतिष्ठा अच्छी तरह संपन्न होने के बाद महाराज श्री ने चातुर्मास भावनगर में किया । अहमदाबाद में मुनि संमेलन : ऐतिहासिक घटना :
__ भावनगर के चातुर्मास के बाद विहार करते करते महाराजश्री अहमदाबाद पधारे । वि.सं. १९९० में अहमदाबाद में मुनि संमेलन आयोजित करने का उन्होंने निश्चय किया । चातुर्मास के बाद गुजरात राजस्थान में से सर्व साधु साध्वी विहार करते हुए अहमदाबाद पहुँच सके इस दृष्टि से फागुन सुद तृतीया के संमेलन का आयोजन हुआ। उन दिनों में साधुओं में शिथिलाचार बढ़ेता जा रहा था । देवद्रव्य, दीक्षा पदवी, तिथि चर्चा, तीर्थरक्षा, साधु संस्था में प्रविशिष्ट हुई भिंदाकुथली