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शासन सम्राट: जीवन परिचय.
कि साधना के मार्ग में चमत्कारों का विशेष मूल्य नहीं है । अतः
उसमे नहीं फँसला चाहिए ।
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लींबडी में स्थिरता : लींबडी नरेश प्रभावित
महाराजश्री की कीर्ति चारों ओर फैल रही थी । इतने में लींबडी के राजा को मालूम हुआ कि चातुर्मास पूर्ण होते ही महाराज श्री अहमदाबाद की ओर जाने वाले हैं । उन्होंने तब लींबडी पधारने के लिए विशेष आग्रह किया । महाराजश्री जब लींबडी पधारे तब उन्होंने महाराज श्री का भव्य स्वागत किया और महाराजश्री के व्याख्यान में प्रतिदिन उपस्थित रहना प्रारंभ किया । इससे समस्त प्रजा पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा और महाराजश्री के व्याख्यान में जैन जैनेतर वर्ग बहुत बडी संख्या में उपस्थित रहने लगा । लींबडी में कुछ दिन रुकने का विचार किया था उसके स्थान पर राजा के विशेष आग्रह का सम्मान करते हुए एक मास तक रूकना पड़ा । वे महाराजश्री के तथा उनके शिष्यों के स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखते थे और आवश्यक सभी औषधियां मंगवा देते थे । लींबडी नरेश का इतना उत्साह देखकर महाराजश्रीने उनसे जीवदया के भी अच्छे कार्य करवाए तथा लींबडी के हस्तप्रत भंडारों को भी व्यवस्थित और समृद्ध किया ।
महाराजश्रीने तत्पश्चात वि.सं. १९६७ की चातुर्मास अहमदाबाद में किया । महाराजश्री ६ वर्ष बाद अहमदाबाद पंधारे थे, अतः श्रोताओं की इतनी भीड होती थी कि उपाश्रय के स्थान पर खुले में मंडप