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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
३२ साध्वीयों को तकलीफ न हो इसलिए महाराजश्रीने उन सभी को पालीताणा राज्य की सीमा छोड़कर भावनगर राज्य की हद में चले जाने को कहा । ऐसे काम में शरीर से सशक्त, हिंमतवान और काबिल मनुष्योंकी जरूरत पड़ती है । इसलिए भाईचंदभाई नामक एक काबिल भाई तैयार हुए । उन्होंने राज्य के कार्यालय में से दस्तावेज की प्रति प्राप्त कर ली । उन पर शंका होने पर राज्य पुलिस ने उन्हें पकडकर कैद करलिया किन्तु कोई प्रमाण ने मिलने से दूसरे दिन उन्हें छोड़ दिया भाईचंदभाई डरें ऐसे न थे । उन्होंने पालीताणा के आसपास के गांवों के आयर लोगों को समझाया कि मुसलमान लोग तुम्हारे बकरे उठवाकर इनका वध करावाएँगे, तो कुछ समय बाद तुम्हारे भेड़ बकरे कम हो जाऐगें और आपकी जीविका नष्ट हो जाएगी । इससे आयर चिंताग्रस्त हो गए भाईचंदभाई आयरों को महाराजश्री के पास ले आए और आयरों ने महाराज श्री से कहा कि 'हम' लोग किसी भी हालत में पीर के स्थानक कमरा या झुग्गी नहीं बनने देगें, कि जिससे मुसलमान बकरों का वध करें । राज्य की ओर से ईंट-पत्थर-चुनारेती इत्यादि टेकरी पर चढाया जाता तो आयर लोग आधी रात को वहाँ से सब उठाकर इस तरह दूर फेंक देते थे कि उसकी कोई जानकारी न मिलती और न ही कोई पकडा जाता था । इससे राज्य के नौकर थक गए । ठाकुर भी क्रोधित हुआ किन्तु किसे पकडे वह समझ नहीं पाता था ।