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________________ 14 १८ अनुक्रमणिका - प्रथम प्रकरण कर्म सिद्धांत के मूल ग्रंथ आगम वाङ्मय मानव जीवन और धर्म जीवन की परिभाषा अध्यात्म एवं धर्म की भूमिका भारतीय संस्कृति की त्रिवेणी वैदिक संस्कृति श्रमण संस्कृति १८ ० ० ० w बौद्ध धर्म w W जैन धर्म इतिहास एवं परंपरा जैन धर्म की सार्वजनीनता जैन धर्म का अंतिम लक्ष्य : शाश्वत शांति २४ 3 3 कालचक्र 9 0 समीक्षा अवसर्पिणी काल के छह आरे उत्सर्पिणी काल के छह आरे समीक्षा तीर्थंकर एवं धर्मतीर्थ तीर्थंकरोपदेश आगम आगमों की भाषा भगवान महावीर द्वारा धर्मदेशना आगमों का महत्त्व आगमों का संकलन प्रथम वाचना द्वितीय वाचना तृतीय वाचना الله 0 0 الله 0 الله الله له r به r سه m
SR No.002299
Book TitleJain Darm Me Karmsiddhant Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktisheelashreeji
PublisherSanskrit Prakrit Bhasha Bhasha Vibhag
Publication Year2009
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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