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________________ २८३) जैन साहित्य का बृहद् इतिहास - पृ. ९८ २८४) क) उत्तराध्ययन सूत्र : (सं. मधुकर मुनि) अ. ३४, गा. ३ ख) आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन खंड - १, पृ. ४१६ २८५) त्रैलोक्य दीपक - नमस्कार महामंत्र : (भद्रंकर विजयजी) पृ. ४०० - ४०२ २८६) क) बहुआयामी महामंत्र णमोकार - पृ. ५४ ख) नमस्कार महामंत्र महात्म्य - पृ. ४३ २८७) A scientific Treatise ion Great Namokar Mantra Page 33 २८८) आत्मानुशासन : (ले. ओ. अन. उपाध्याय) पृ. १४१ २८९) एसो पंच नमोकारो - ( महाप्रज्ञजी) पृ. ७६ - ७८ २९०) तीर्थंकर मासिक पत्रिका - णमोकार मंत्र विशेषांक : (सं. नेमिचंद्र जैन) पृ. ५१-५४ २९१) जैन दर्शन के नवतत्व हिन्दी आवृत्ति : (डॉ. धर्मशीलाजी महाराज एम. ए. पीचडी) पृ. ४१६ २९२) तीर्थंकर मासिक पत्रिका - णमोकार मंत्र विशेषांक ( सं . नेमीचंद शास्त्री) पृ. ६३ २९३) महामंत्र की अनुप्रेक्षा : (भद्रंकर विजयजी) पृ. २८ २९४) तत्वं धर्मस्य सुस्पष्टं ... शमवृत्तेरुपासनम् । नमस्कार चिंतामणि पृ. ३८ २९५) दीर्घदर्शी विशेषज्ञः... परोपकृतिकर्मकर्मठः ॥ योगशास्त्र प्रकाश - १, श्लोक ५५ २९६) परोपकार पज्ञे हि पुमाज् सर्वस्त्र नेत्रामृताञ्जनम् ॥ धर्मरत्न प्रकरण (टीका) २९७) नमस्कार चिंतामणि पृ. १२ २९८) क) धर्मबिंदू - गाथा ४-६, पृ. १२ ख) धर्मबिंदू - गाथा ६-९ २९९) परार्थसंपादनस्य एवं सर्वधर्मानुष्ठानेभ्य उत्तमत्वात् || धर्मबिंदु (टीका) १२ ३००) क) दशवैकालिक सूत्र : (सं. मधुकरमुनि) गा. ६५ ख) जिन चूर्णि - पृ. १६० (३१४)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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