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________________ १७) ११) दुक्खं हयंजस्स न होई मोहो ... लोहो हओ जस्स न किंचणाइ ।। उत्तराध्ययन सूत्र - अ. ३२, गाथा ८ १२) एसो पंच नमोकारो : (युवाचार्य महाप्रज्ञ) भूमिका पृ. ४ १३) निग्रंथ प्रवचन : (श्रीमद् राजचंद्र) पृ. ६ १४) निग्रंथ प्रवचन : (संग्राहक और अनुवादक - चोथमलजी महाराज) अध्याय ६- पृ. २५५ १५) प्रवचनसार (कानजी स्वामी) गाथा १४५ त्रैलोक्य दीपक महामंत्राधिराज : (भद्रंकर विजयजी) पृ. १०१ ध्याता - ध्येय - ध्यान गुण एके, भेद- छेद करंशु हवे टेके। ___ खीर नीर परे तमसुं मिलÓ, वाचक यश कहे हैजे हलध्रु॥ शिवपद - पूजे: शिवपद पावे: (आचार्य यशोविजयजी) पृ. २६ १८) क) उपयोगो लक्षणम् तत्वार्थ सूत्र : (उमास्वाती) अ २, सूत्र ८ ख) जीवो उवओग - लक्खणो। उत्तराध्ययन सूत्र (युवाचार्य मधुकर मुनि) अ. २८, गा. १० ग) प्रवचनसार कुंदकुंदाचार्य) अ.२, गाथा ६३, पृ. १९७ क) प्रवचन रत्नाकार : (ले. गुरुदेव श्री. कानजी स्वामी) पृ. ७९ ख) छह ढाला : (पं. दौलतराम) चौथी ढाल छन्द ५ २०) रत्नसंग्रह : (ले. ब. हरिलाल जैन) भा. १-२, पृ. १४९) २१) क) गुणओ उवओगगुणे - (सं.पुष्पभिक्खु सुत्तागमे) (ठाणांग) भा.१, अ.५,३.३ पृ.२६६ ख) उवओगलक्खणे णंजीवे । सुत्तगमे (भगवती) श. १३३.३ पृ. ६८४ २२) क) जैन तत्व प्रकाश : (पू. अमोलक ऋषिजी महाराज) पृ. १२५ ख) तत्वार्थ सूत्र : (उमास्वाति) अ.१, सू.९, ३२ ग) बृहद् द्रव्य संग्रह, गा. ४,५, पृ. ११,१२ (२९७)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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