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________________ द्वितीय प्रकरण जैन धर्म में नवकार मंत्र और भारतीय मंत्र विद्याओमें नवकार मंत्रका स्थान अनु क्र. नाम १११) णमोक्कार मंत्र की उत्पत्ति ११२) जैन धर्म का महामंत्र : नवकार आदि प्रयोग ११३) श्री नवकार महामंत्र का अर्थ ११४) श्री नवकार महामंत्र का बाह्य स्वरूप सम्पदाएँ ११५) नवकार ११६) नवकार मंत्र का अक्षरात्मक विश्लेषण ११७) नवकार मंत्र का आंतरिक स्वरुप ११८) णमो पदकी विशेषताएँ ११९) पंच परमेष्ठि विवेचन १२० ) अरिहंत १२१) सिद्ध १२२) आचार्य १२३) उपाध्याय १२४) साधु १२५) पाँच प्रकार के गुरु १२६ ) णमो लोए सव्व साहुणं का रहस्य १२७) नवकार चूलिका समीक्षा १२८) जैन धर्म में गुण और गुणी पूजा का महत्त्व : १२९) नवकार महामंत्र का आधार ः गुण निष्पन्नता १३०) नवकार महामंत्र क्यों ? १३१) नवकार मंत्र : आभ्यन्तर तप पान क्र. to w w w w ६६ ६६ ६८ ६९ ; ; ; ; ु g gggggg 85 ७० ७० ७२ ७३ ७५ ७५ ७६ ७७ ७७ ७८ ७८ ७९ ८१ ८३ ८३ ८४ ८५
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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