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________________ मुझे जो कुछ कहना है आज हम अपने जीवन के किसी भी मोड़ पर क्यों न हों, यदि हम अपने अंतर में झाँककर अपने मानस को टटोलने का प्रयास करेंगे तो पाएँगे कि अपने जन्म से लेकर आज तक हम कितने ही अनुत्तरित प्रश्नों को ढोते चले आ रहे हैं और लगता है कि शायद अपने इस जीवन में हम इन सवालों का जवाब पा भी न सकेंगे। इस त्रासदी का शिकार मात्र हम अकेले ही नहीं हैं, वरन सभी लोग हैं। हम सभी। ___ अनंत लोग यहाँ आये, जीवन भर इन अनुत्तरित प्रश्नों का बोझ ढोते रहे और ऐसे ही चले गए; आज उनकी जगह हमने ले ली हैं। हम भी अब तक सफलतापूर्वक वह भारवहन कर रहे हैं। एक दिन हम भी चल देंगे एवं कोई और आ जावेगा, पर बदलेगा कुछ भी नहीं, सब कुछ वैसा ही चलता रहेगा, शायद वे प्रश्न अनुत्तरित ही बने रहेंगे। __ आखिर क्या हैं वे प्रश्न? उनका जवाब मिलता क्यों नहीं? कब मिलेगा उनका जवाब? यदि मिलेगा तो कब, कहाँ, किससे और कैसे? __ ये सारे प्रश्न हैं आत्मा-परमात्मा, जीवन-मरण, कर्म और उनका फल, आत्मा का अस्तित्व व पुनर्जन्म इत्यादि विषयों से सम्बन्धित । ये सारे प्रश्न ऐसे हैं कि जिनका उत्तर तत्काल मिलना आवश्यक व महत्त्वपूर्ण हैं। इनका उत्तर पाने के लिए हम एक और कल तक का इंतजार करें - यह हमारी भारी भूल होगी; क्योंकि इन सारे प्रश्नों के उत्तर में ही हमारे वर्तमान जीवन का रहस्य छुपा हुआ है। इन प्रश्नों के उत्तर से ही हमारे जीवन को दिशा मिलेगी। हम यह निर्णय कर पाएंगे कि हम यह जीवन किसप्रकार जियें, हमारी जीवन प्रणाली कैसी हो, इस जीवन में हमारी प्राथमिकतायें क्या हों, इस जीवन में क्या करना महत्त्वपूर्ण है? यदि हम अपने जीवन को दिशा देने का यह कार्य आज नहीं करेंगे तो कब करेंगे, क्या जीवन बीत जाने के बाद ? - क्या मृत्यु महोत्सव अभिशाप है ?/७
SR No.002295
Book TitleKya Mrutyu Abhishap Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmatmaprakash Bharilla
PublisherPandit Todarmal Smarak Trust
Publication Year2015
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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