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________________ वैसे भी क्या कोई पड़ौसी के घर के कुंए के भरोसे अपने घर के घड़े फोड़ देता है या फोड़ देने चाहिए ? नहीं न ? हर धार्मिक मान्यता की पुष्टि के लिए विज्ञान का मुंह ताकनेवाले लोगों से मैं कुछ सामान्य सी बातें पूछना चाहता हूँ कि कल तक, जब तक विज्ञान ने वायुयान या मिसाइल नहीं बनाये थे या रेडियो व टेलीविजन का आविष्कार नहीं कर लिया था; तब क्या हम अपने पुराणों में वर्णित अग्निबाण या पुष्पक विमान पर भरोसा कर पाते थे ? क्या उन्हें मात्र कपोल कल्पित नहीं मान बैठे थे, या कि 'आकाशवाणी हुई' पर हम भरोसा कर पाते थे या संजय द्वारा महाभारत के युद्ध का आंखों देखा हाल भीष्म पितामह को घर बैठे सुनाने की बात की सत्यता की कल्पना भी कर सकते थे या पानी की एक-एक बूंद में अनन्त जीवराशि होती है - यह बात हमारे गले उतरती थी ? नहीं न ? पर क्या तब यह सत्य नहीं था ? यह सब सत्य था यह आज विज्ञान ने साबित कर दिया है। तब क्या उस समय हमारा इन बातों पर भरोसा न करना हमारा महा अविवेक का कार्य नहीं था ? क्या विज्ञान के कन्फर्म न कर पाने से सत्य बदल गया था ? नहीं न ? यही बात आज लागू क्यों नहीं हो सकती। हो सकता है विज्ञान धर्म की जिन बातों को आज तक जान नहीं पाया है, कल जान जावे, कल कन्फर्म कर दे। पर तब हमारा क्या होगा ? तब हम तो नहीं होंगे न....................। अब आप ही कहिए कि विज्ञान के अज्ञान का, विज्ञान के आधे• अधूरेपन का अभिशाप हम क्यों भुगतें, उसके शिकार हम क्यों बनें ? जबकि सन्तों की वाणी, और उनका ज्ञान पहिले से ही हमारे पास है। यहाँ कोई कह सकता है कि भाई ! हम सुनी-पढ़ी बातों पर भरोसा नहीं कर सकते, हमें तो प्रयोगशाला में साबित करके दिखाइये; तब हम आपकी, धर्म की, आत्मा-परमात्मा वाली बातें स्वीकार कर सकते हैं, क्या मृत्यु महोत्सव अभिशाप है ? / ५८
SR No.002295
Book TitleKya Mrutyu Abhishap Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmatmaprakash Bharilla
PublisherPandit Todarmal Smarak Trust
Publication Year2015
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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