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डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल चैरिटेबल ट्रस्ट : एक परिचय
डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 25 मई सन् 1995 को देवलाली (महा.) में डॉ. भारिल्ल के 61वें जन्मदिवस पर की गई थी। उनकी षष्टिपूर्ति के अवसर पर जब पू. कानजी स्वामी स्मारक ट्रस्ट, देवलाली द्वारा उन्हें 60 हजार की धनराशि भेंट की गई थी, तब उनके परिवार ने 2 लाख 40 हजार उसमें
और मिलाकर तीन लाख की धनराशि से यह ट्रस्ट स्थापित किया था। साथ ही यह घोषणा की थी कि इस ट्रस्ट में उनके परिवार के सिवा किसी अन्य की धनराशि नहीं ली जायेगी। चूँकि इस ट्रस्ट का गठन एक विद्वान के सम्मान की प्रदत्त राशि से हुआ था; अत: यह संकल्प किया गया कि सर्वप्रथम इस ट्रस्ट के माध्यम से विद्वानों का सम्मान ही प्रारंभ किया जावे। ___इस शृंखला में अबतक डॉ. उत्तमचन्दजी सिवनी, पण्डित अभयकुमारजी शास्त्री जबलपुर, ब्र. अभिनन्दकुमारजी शास्त्री खनियांधाना, डॉ. महावीरकुमारजी जैन उदयपुर तथा अशोककुमारजी लुहाड़िया अलीगढ़ को सम्मानित किया जा चुका है।
इस सम्मान में दस हजार रुपए की नकद राशि, शाल, नारियल, माल्यार्पण एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता है।
इसके अतिरिक्त श्री अखिल भारतवर्षीय दि. जैन विद्वत्परिषद् की ओर से गुरु गोपालदास बरैया एवं गणेश वर्णी पुरस्कार दिए जाते हैं । इन पुरस्कारों में पाँच हजार रुपए, शाल, नारियल, माल्यार्पण एवं पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। इन दोनों पुरस्कारों का व्यय भी डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ही वहन किया जाता है।
यह पुरस्कार अभी तक डॉ. वीरसागर जैन, अध्यक्ष : जैनदर्शन विभाग, लालबहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय, दिल्ली एवं डॉ. पुषराज जैन, दिल्ली को दिया गया है।
डॉ. भारिल्ल की जन्मभूमि बरौदा स्वामी के जिनमंदिर में एक वीतराग-विज्ञान स्वाध्याय भवन का निर्माण भी इसी ट्रस्ट ने करवाया है, जिसमें लगभग 2 लाख रुपये की राशि व्यय हुई है।
अब इस ट्रस्ट के माध्यम से साहित्य प्रकाशन का कार्य भी प्रारंभ किया गया है। प्रथम पुष्प के रूप में अरुणकुमार जैन द्वारा लिखित राजस्थान विश्वविद्यालय से स्वीकृत लघु शोध प्रबन्ध ‘डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल और उनका कथा साहित्य' के प्रकाशन के उपरान्त यह द्वितीय पुष्प अन्तर्द्वन्द' आपके हाथों में है।
_ - पण्डित रतनचन्द भारिल्ल