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तरुण दंपती को जीवनदान और छुटकारा, पुरिमताल उद्यान, पवित्र वटवृक्ष,
ऋषभदेव का चैत्य, श्रमणदर्शन : प्रव्रज्याग्रहण की इच्छा, साधना. वैराग्य
तरंगवती और उसके पति में वैराग्यवृत्ति का उदय, श्रमणदत्त हितशिक्षा, प्रव्रज्याग्रहण के लिये तत्पर, व्रतग्रहण, स्वजनों का आगमन, श्रेष्ठी द्वारा रोकथाम और अनुमति, सार्थवाह का अनुनय, सार्थपुत्र का प्रत्युत्तर, सार्थवाह की अनुमति, सब स्वजन की बिदा, गणिनी का आगमन : तरंगवती को सौंपना,
शास्त्राध्ययन और तपश्चर्या. वृत्तांत-समापन उपसंहार ग्रंथकार का उपसंहार प्रस्तावना अनुवाद : . .