SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आणंदा Text १. चिदाणंदु साणंदु जिणु, सयल-सरीरहि सोइ । महाणंदि सो पूजियइ, आणंदा रे गयण-मंडलि थिरु होइ ॥ . २. अप्पु णिरंजणु अप्पु सिउ, अप्पा परमाणंदु । मूढ कुदेउ ण पूजयइ, आणंदा रे गुरु-विणु भूलउ अंधु ॥ ३. • अठसठि तिथ परिब्भमहि, मूढा मरहि भवंतु । अप्पा वंदि ण जाणहि, आणंदा रे घट-महि देउ अणंतु ॥ ४. भीतरि भरियउ पाव-मलु, मूढा करहि सणाणु । जे मल लगा चित्त-महिं आणदा रे ते किम जाय वखाणु || झाणु सरोवरु अमिउ जलु, मुणिवरु करइ सणाणु । अठ कम्म-मलु धोवइ आणंदा रे णियडा पह-णिव्वाणु ॥ वेणी-संगमि जि ण मरहु, जलणिहि झंप म देउ। . झाणग्गिहि तुण जालि करि आणंदा रे कम्म-पडल खउ णेहु ॥ सत्थु पढंतउ मूढ जय, पालइ जण-विवहारु । काई अचेयणु पूजियइ आणंदा रे नाही मोक्ख-दुवारु ॥ वउ तउ संजमु सीलु गुणु, सहइ महव्वय भारु । एक्कु ण जाणइ परम कल, आणंदा रे भमियइ बहु संसारु । ९. केई केस लंचावहि, केई सिरि जड भारु । अप्पा बिंदु ण झायहिं आणंदा रे किम पावहि-भव पारु ॥
SR No.002292
Book TitleAnanda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Pritam Singhvi
PublisherParshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages28
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy