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प्रकाशकीय
डा. प्रीतम सिंघवी का प्राकृत और जैन साहित्य में चालु शोध-कार्य के फलस्वरूप पार्श्व इन्टर्नेशल की प्रकाशनप्रवृत्ति का शुभारंभ हुआ है। साहित्यरचना में उत्तरकालीन अपभ्रंश में जो जैन परंपरा में अध्यात्मवादी और धार्मिक रचनाएं लोकोपदेश की दृष्टि से हुई हैं, उनमें से बहुत कम अब तक प्रकाश में आयी हैं । प्रीतमजी ने इस विषय में जो कार्य का प्रारंभ किया है वह अन्यों को भी प्रेरित करेगा एसी हम आशा रखते हैं। पार्श्व शोधनिष्ठ और शैक्षणिक ग्रंथमाला उनकी यह पुस्तक सानंद और साभार प्रकाशित करती है।
हरिवल्लभ भायाणी सभ्य, विद्याकीय परामर्श समिति
एस. एस. सिंघवी
अध्यक्ष