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________________ 10 भूमिका इस 'अणुपेहा' की आधारभूत हस्तप्रति आमेर शास्त्र भंडार (जयपुर) से प्राप्त हुई है। उस हस्तप्रत की झेरोक्स कापी से हमने पाठ संपादन किया है। प्रति में ६ पत्र हैं। पहले और अन्तिम पत्र पर क्रमशः ११ और ७ पंक्तियां हैं, और बाकी के चार पत्र पर १५ पंक्तियां हैं । और प्रत्येक पंक्ति में सरासरी २२ से ३० अक्षर हैं । अक्षर बड़े हैं और लेखन स्वच्छ है । प्रति का आदि : In विविसिद्धमदारिसिदिजियरसावादमुकायरमा नंदपरिडियावराशामणदेवकाजश्वीहहिचल गगमलातानिनवाकरनिदाददाणुघेहामुगा। लडशिवमुहलेदेदिराज प्रति का अन्तः वश्लकर्णिबायोएअापेदानिएलगशाणावो|| लसाहातेताविजालिंजीवउहाजश्वाहहिसिवलाही Theयतिद्वादशांग अनुयालक्ष्मी वंदवलीसमाता संपादन इस कृति की यह एक ही प्रति ज्ञात है । भाषा की दृष्टि से प्रति कई स्थानों पर अशुद्ध है । कहीं-कहीं छोटे लेखनदोष भी हैं । जैसे कि कहीं अनुस्वार के बिंदु के बारे में गलती हो, कहीं कोई अक्षर नहीं लिखा गया हो इत्यादि । ये सुधार लिये हैं। कहीं-कहीं जो रूप शब्द आदि की अशुद्धि मालूम हुई है उनकी शुद्धि की है और उसकी सूचि अन्त में दी गई है।
SR No.002291
Book TitleAnupeha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
Publication Year1998
Total Pages36
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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