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ऐसे शासन के बल से ही श्रीअरिहन्त-तीर्थंकर परमात्मा की 'महागोप, महामाहण, महानिर्यामक और महासार्थवाह' रूप चारों महतो उपमाएँ जगत्भर में सुप्रसिद्ध
श्री अरिहन्त-तीर्थकर परमात्मा (१) इस विश्व के पशुप्रायः प्राणियों की सुरक्षा के लिये
'महागोप' (महाग्वाल) के समान हैं।' (२) संसार में 'मत्स्य-गलागल' न्याय से विनाश पामते
हुए जीवों के लिये अहिंसा के अवतार एवं अद्वितीय
प्रचारक होने से 'महामाहरण' के समान हैं । (३) महा भयंकर और अतिदुस्तर संसार सागर से तारने
के लिये 'महानिर्यामक' के समान हैं। (४) भयंकर भवाटवी से पार लगाकर सुखपूर्वक मोक्षनगर __ में पहुँचाने के लिये 'महासार्थवाह' के समान हैं।
ऐसी चार उपमाओं वाले श्रीअरिहन्त-तीर्थंकर परमात्मा की उपकारिता अति अनुपम और अद्वितीय है। श्री अरिहन्त-तीर्थंकर परमात्मा की
विशिष्ट गुणमयता विश्व में श्रीअरिहन्त-तीर्थंकर परमात्मा की विशिष्ट गुणमयता अनुपम है।
श्रीसिद्धचक्र-नवपदस्वरूपदर्शन-४२