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________________ तथा मैंने (शा० बाबूलाल मणिलाल भाभर वाले ने) पढ़ाया। इस दिन को नोकारसो शा० भेरूमल मूल वन्दजो को तरफ से हुई । (१४) महा सुद ७ गुरुवार दिनांक ६-२-८४ को प्रातः द्वारोद्घाटन का कार्यक्रम रहा। दोपहर में प्रभावना युक्त पूजा शा० भूरमलजो पूनमचन्दजो को तरफ से पढ़ाई गई। यह श्रीअंजनशलाका-प्रतिष्ठा महोत्सव परम शासन प्रभावनापूर्वक निर्विघ्न सुसम्पन्न हुआ जो तखतगढ़ के इतिहास में सुवर्णाक्षरों में अंकित रहेगा। ॥ शुभं भवतु ॥ ।। ॐ ह्रीं अर्ह नमः ।। श्री तखतगढ़ नगर में प्रवेश (१) श्रीवीर सं० २५११ विक्रम सं० २०४१ पौष (मागशर) वद १ रविवार दिनांक ६-१२-८४ को जैनधर्मदिवाकर-राजस्थानदोपक-मरुधरदेशोद्धारक-शास्त्रविशारद-परमपूज्य प्राचार्यदेव श्रीमद् विजयसुशीलसूरीश्वरजी म. सा०, पूज्य उपाध्याय श्रीविनोदविजय जो म० सा०, पूज्य मुनिराज श्रीप्रमोदविजयजी म० सा०, पूज्य मुनिराज श्री शालिभद्रविजयजी म. सा०, पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तमविजयजी म. सा० एवं पूज्य मुनिराज श्रीअरिहन्तविजय जी म० सा० आदि ने तथा शासन प्रभावक पूज्य आचार्य श्रीमद् विजयमंगलप्रभसूरीश्वरजी म० सा० की आज्ञानुवत्तिनी पूज्य साध्वी श्री सुशोलाश्रीजी म० की शिष्या पूज्य साध्वी श्रीभक्ति श्रीजी म० की शिष्या पूज्य साध्वी श्रीललितप्रभाश्रीजी आदि ने भी श्री तखतगढ़ नगर में श्री उपधान तप के मंगल प्रसंग पर सुस्वागतपूर्वक ( 114 )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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