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________________ सांधारण ए कलश जे गावे, श्री शुभवीर सवाई। मंगल लीला सुख भर पावे, घर घर हर्ष बधाई ।। प्रा. ६ ।। - ॥ स्नात्र पूजा संपूर्ण ।। प्रनुजी का प्रक्षाल अंगलूहनादि करके अष्टप्रकारी पूजा करना ॥अथ अष्टप्रकारी पूजा ।। ॥ जल पूजा ।। जल पूजा जुगते करो, मेल अनादि विनाश । जल पूजा फल मुज हजो, मांगो एम प्रभु पास ।। ज्ञान कलश भरी प्रातमा, समता रस भरपूर । श्री जिन ने नवरावतां, कर्म होय चकचूर ।। १ ॥ मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीं परम पुरुषाय परमेश्वराय, जन्म जरा मृत्यु निवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय जलं यजामहे स्वाहा । ।। चंदन पूजा ।। शीतल गुण जेहमां रह्यो, शीतल प्रभु मुख रंग । आत्म शीतल करवा भणी, पूजो अरिहा अंग ।। २ ।। मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीं परम पुरुषाय परमेश्वराय जन्म जरा मृत्यु निवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय चंदनं यजामहे स्वाहा । ।। पुष्प पूजा ॥ सुरभि अखण्ड कुसुम ग्रही, पूजो गत संताप । सुम जंतु भव्यज परे, करिये समकित छाप ।। ३ ।। . मन्त्र-ॐ ह्रीं श्रीं परम पुरुषाय परमेश्वराय जन्म जरा मृत्यु निवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय पुष्पं यजामहे स्वाहा । ( 71 )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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