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________________ क्रम विषय पृष्ठ १८७ १८९ १९३ १६४ १६८ २०० २०३ २०४ २०५ २०८ २१० - मनःपर्यवज्ञान - केवलज्ञान - ज्ञान की अनेक उपमाएँ - ज्ञान सम्बन्धी विशिष्ट विचारणा --- श्री सम्यग्ज्ञान के प्रकार - ज्ञानपद के एकावन गुण - श्री ज्ञानपद का पाराधन - ज्ञानपद का वर्ण श्वेत उज्ज्वल क्यों - श्री ज्ञानपद का वर्णन श्री ज्ञानपद की भावना .- श्री ज्ञानपद का अाराधन - श्री ज्ञानपद की उपासना से भव का निस्तार - श्री ज्ञानपद की आराधना का उदाहरण (८) श्री चारित्रपद - श्री चारित्र शब्द की व्युत्पत्ति-अर्थ - चारित्र शब्द के पयायवाची – चारित्र पद की महिमा - चारित्र की उपमाएँ - चारित्र के भेद - चारित्र के अन्य प्रकार - चारित्र पद के सत्तर गुण - अष्टांग योगमय चारित्र - आठ अंगों के नाम और उनका स्वरूप - चारित्र पद का अधिकारी - चारित्र पद का पाराधक - चारित्र पद का आराधन २१३ २१६ २१९ २१६ २२२ २२४ ०.xxmmm"" २४२ २४२ २४३ ( २१ )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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