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________________ क्रम विषय पृष्ठ १३४ १३६ १३८. । । १३८ १४० १४० १४५ १४८ . १५० - । । । । । । । १५० .१५२ - लोकोत्तम साधु महाराज - शरण ग्रहण योग्य साधु महाराज - साधु भगवन्त का स्वरूप और स्थान - साधु पद का प्राराधन - साधुपद के पाराधक की भावना (६) श्री दर्शनपद - श्री दर्शनपद का स्वरूप सम्यग दर्शन के भेदों की जानकारी - श्री सम्यग् दर्शन की उपमाएँ श्री सम्यग्दर्शन के नाम - श्री सम्यग्दर्शन के प्रकार श्री सम्यग्दर्शन पद का श्वेतवर्ण क्यों श्री सम्यग्दर्शन पद की प्राप्ति से क्या लाभ मिलता है - श्री सम्यग्दर्शन पद का आराधन - श्री सम्यगदर्शन पद के प्राराधक की भावना - श्री सम्यग्दर्शन पद-भावना -- सम्यक्त्ववंत संसारी जीव की विचारणा . ..., - श्री सम्यग्दर्शन पद की आराधना का दृष्टान्त .... -- श्री सम्यग्दर्शन पद का नमस्कारात्मक वर्णन .... १४. (७) श्री ज्ञानपद - ज्ञान शब्द की व्युत्पत्ति , - श्री ज्ञानपद का स्वरूप - मतिज्ञान - श्रु तज्ञान - अवधिज्ञान १५३ १५७ १६३ १६४ १७४ १८२ ( २० )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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