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लोगस्स कहना फिर खमासमण देकर इच्छाकारेण ० पडिलेहन करू ऐसा कहकर मुहपत्ती चरवला आसनादि उपकरणों का व उपयोग में आने वाले वस्त्रों का पडिलेहरण करना बाद काजा निकाल कर एक जगह इकट्ठा करके इरियावहियं करके बाद काजे को शुद्ध जमीन पर डाल देना ।
पच्चवखारण पारने की विधि
प्रथम खमासमरण देकर इरिया० तस्स उ० अन्नत्थ० कह एक लोगस्स या चार नवकार का काउस्सग करना बाद लोगस्स कहना तदनंतर उत्तरासण करके खमासमरण दे इच्छा० चैत्य वंदन करू ऐसा कहकर जग चिंतामणि का चैत्य वंदन करना, बाद में जंकिंचि० नमुत्थुगं० जावतिचेई० खमासमरण देकर जावंत केवि० नमोर्हत्॰ उवसग्ग० कह जयवीयराय संपूर्ण कहना बाद में खमासमण देकर इच्छा ० सज्झाय करूं ऐसा कहकर एक नवकार गिनना बाद मन्हजिरणारणं की सज्झाय कहकर नवकार कहना फिर खमासमरण देकर इच्छा० मुहपत्ति पडिलेहुं इच्छं कहकर मुहपत्ति पडिलेंहना फिर खमा ० इच्छा० पच्चक्खाण पारू (गुरु कहे पुरगोवि काव्वं ) यथाशक्ति फिर खमा० इच्छा० पच्चक्खाण पायु (गुरु कहे - प्रायारो न मुतव्वो) तहत्ति कहकर जीमणे हाथ की मुट्ठी बंद करके चरवले पर स्थापन करना बाद एक नवकार गिनकर पच्चक्खाण पारने की गाथा पढ़ना तदनंतर एक नवकार पढ़कर उठना ।
पच्चक्खाण पारने की गाथा
उग्गए सूरे नमुक्कार सहियं, पोरिसिं, साढ्ढ पोरिसिं, मुट्ठसहियं पच्चक्खाण किया चउविहार प्रायंबिल, निवि एकासरणा किया तिविहार पच्चक्खाण पालियं फासियं सोहियं तिरियं किट्टीयं आराहियं जं च न आराहियं तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
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