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________________ क्रम विषय ५० ५० ५१ ५२ ५६ ६० --- श्री अरिहंत पद की प्राराधना शुक्लवर्ण . से क्यों - श्री अरिहत पद का प्राधिन --- श्री अरिहंत पद की पाराधना का ध्येय । -- श्री अरिहंत पद की अाराधना के दृष्टान्त - श्री अरिहंत पद की भावना (२) श्रीसिद्धपद - श्री सिद्धपद की पहिचान - 'सिद्ध' शब्द की व्युत्पत्ति और उसका प्रथं . सिद्धभगवन्त के पाठ गुण - सिद्धभगवन्तों के इकतीस गुण - सिद्धभगवन्तों के नाम - सिद्धों के भेद - श्री सिद्धपद का वर्ण लाल क्यों - श्री सिद्धभगवन्तों को प्रथमतः नमस्कार क्यों नहीं - श्री सिद्धपद का अाराधन --- श्री सिद्धपद की आराधना के दृष्टांत - श्री सिद्धभगवन्तों का शरण - श्री सिद्धपद की भावना (३) श्री प्राचार्यपद - श्री प्राचार्यपद की पहिचान - 'आचार्य' शब्द की व्याख्या,व्युत्पत्ति और अर्थ प्राचार्य के छत्तं स गुण -- प्राचार्यपद की आराधना पीतवर्ण से क्यों ... ७१ ७२ ७४ ७४ ७७ १०. ७८ ( १८ )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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