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________________ क्रम विषय १. श्रीसिद्धचक्र - नवपद की श्राराधना किसलिए २. ३. ४. विषयानुक्रमणिका श्री सिद्धचक्र न नव दिन पर्यन्त रसनेन्द्रिय-विजय नव संख्या की विशिष्टता नवपद की नामावली श्री सिद्धचक्र - नवपद श्राराधना की श्रेष्ठता श्री सिद्धचक्र - नवपद का स्वरूप - - नवपद प्राराधना का विशिष्ट समय ५. ६. ७. ८. (१) श्री अरिहंत पद ― - श्री अरिहंतपद की पहिचान अरिहंत के नाम श्री तीर्थंकर - अरिहंत भगवन्तों के बारह गुणों की मुख्ता चौंतीस प्रतिशय श्री अरिहंत तीर्थंकर प्रभु की चार महान् उपमाएँ • श्री अरिहंत-तीर्थंकर परमात्मा की विशिष्ट - गुणमयता श्री अरिहंत पद का प्रथम स्थान क्यों ( १७ ) पृष्ठ ८ ६ ११ १३ १४ २१ २२ ३२ ४१ ४२ ४४
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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