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________________ परिशिष्ट - १ ।। श्रीशंखेश्वरपार्श्वनाथाय नमः ॥ श्री नवपद ओली विधि जैन शासन में ६ अट्ठाईयां फर्माई हैं; उनमें चैत्र शुक्ला सप्तमी से पूर्णिमा तक और आश्विन शुक्ला सप्तमी से पूर्णिमा तक जो दो अट्ठाईयां हैं; इनमें नवपद महाराज की आराधना की जाती है । इस व्रत की आराधना आश्विन मास से प्रारम्भ होती है। और साढ़े चार वर्ष तक लगातार नौ प्रोली करने से यह व्रत पूरा होता है । इस व्रत की आराधना जो सच्चे भाव से करता है उसे श्रीपाल महाराजा के माफिक ऋद्धि-सिद्धि और सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है । नव दिन की श्रावश्यक क्रियाएँ (१) प्रातः काल चार बजे उठकर मंद स्वर से उपयोगपूर्वक राई प्रतिक्रमण करना । (२) पदों के गुणों की संख्या के अनुसार लोगस्स का काउसग्ग करना । ( 3 )
SR No.002288
Book TitleSiddhachakra Navpad Swarup Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1985
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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